Monday

आप्त पुरुषों के वचन

  • "जब-जब धर्म की हानी और अधर्म की वृद्धि होती है , तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ "

(योगेश्वर श्री कृष्ण )

  • "जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और भूमंडल पर आसुरी प्रकृति एवं अभिमानी पुरुषों की बढोतरी हो जाती है , तब-तब मैमानुष चोले में आता हूँ और सज्जनों के कष्ट और संकटों को निवारण करता हूँ ।"

(भगवन श्रीराम)

  • "याही काज धारा हम जनम।समझ लेओ साधू सब मनम॥
धरम चलावन संत उबारण।दुष्ट सबन को मूल उपरण॥"
(विचित्र नाटक : श्री गुरु गोविन्दसिंह जी महाराज)
  • जब समता धरम का प्रकाश लोप हो जाता है उस वकत फ़िर सत्पुरुष आकार अमली ज़िन्दगी द्वारा प्रकाश दिख्लातें हैं । "

(ग्रन्थ श्री समता विलास)