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कल्याण कैसे हो सकता है ?

"प्रेमी ! कल्याण कैसे हो सकता है? कल्याण कोई खिलौना नही है, जो हाथ में पकडा दिया जाय। विश्वास ही है। तेरा कल्याण सत्संग , सिमरन,पर उपकार में है,हर प्राणी मात्र कि निष्काम सेवा करने में है। खाली धुप दीप दिखाकर भगवान् को खुश करना चाहते हो। वह तुम्हारे घट घट कि जानने वाला है.प्रेमी , अगर कल्याण कि ख्वाहिश है तो निर्मल चित से तन ,मन,धन सब कुछ सम्पत्ति जो है उसकी परम्दात समझकर उसे दूसरो के सुखों के वास्ते हर वक्त तकसीम (बांटना) करने वाले बनो सच्चे दिल से जिस क़द्र सैट सिमरन बन सके ,इसमें शरीर को घालो (लगाओ) बस फिर कल्याण कोई दूर नही। अब बता क्या समझा "

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