वचन१- समता शक्ती से कुल दुनिया का निजाम खड़ा है।
वचन २- समता के आधार पर कुल दुनिया की राजनीती और धरमनिति बनी है।जो समता के बगैर निति होती है,वह दुख्दाए है और जल्द ही नाश हो जाती है।
वचन ३- समता शक्ति अनुभव करके कुल महा पुरुषों ने निजात हासिल की और लोगों को रहत-ऐ-अब्दी सिखलाई।
वचन ४- समता ही को धरम कहते हैं ,जब इसका प्रकाश लोप होजाता है, उस वक्त फ़िर सत्पुरुष आकर अमली ज़िन्दगी द्वारा प्रकाश दिख्लातें हैं।
वचन ५- समता ही असली खुशी है जो हर जीव अन्तर से चाहता है।
वचन ६- समता ही जीवन है। जो चीज़ समता छोड़ती है वह नाश होजाती है।
वचन ७- समता ही असली स्वराज है जो हर एक दुनियावी कैद से निजात देता है और परमानन्द को प्राप्त करता है।
वचन ८- समता ही का ज़हूर कुल दुनिया है। सब पदार्थ एक दुसरे के प्रेम से खादें है।
वचन ९- समता ही का विचार कुल दुनिया की किताबें बतलाती हैं । जिसमें समता का विचार नहीं है वह इल्हामी किताब नहीं बल्कि मन घडत कहानी है।
वचन १०- समता ही कुल फकीरों का मैराज यानि परमपद है.वहां प्राप्त होकर खवाहिश के अजाब से छुट पाई है।
Wednesday
समता विलास (प्रथम अनुभव - समता निधन)
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