..... ( म .मंगतराम जी)
जैसे सूर्य आकाश में छिपकर नही विचर सकता वैसे ही महापुरुष भी संसार में छिपकर नही रह सकते
..... (वेदव्यास)
जो इश्वर कि इच्छा है वही होकर रहेगी । प्रारब्ध कर्म को कोई नही मिटा सकता ।
हम यदि केवल सद्गुरु के उपदेशों को ही आचरण में लायें तो हमारे अंतर में छिपी अपार अध्यात्मिक सम्पत्ति हमे मिल जाएगी।
.... (गुरु नानकदेव)
लालची आदमी कि आँखें या तो संतोष से भर सकती हें या कब्र कि मिटटी से ।
वह आदमी वास्तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुह से नही निकालता ।
.... (शेख सादी )
मन का जीतना सागर को सुखाने ,पर्वत को उखाड़ने और अग्नि का भक्षण करने से अधिक कठिन है ।
मृत्यु व्यक्ति के साथ चला करती है । मृत्यु व्यक्ति के साथ विश्राम करती है । व्यक्ति कितनी भी दूर क्यों न चला जाये ,वह मृत्यु को कभी भी पीछे नही छोड़ सकता।
जो रात बीत जाती है ,वह फिर कभी नही लौटती .गंगा अपना जल महासागर में भले मिल देती है पर कभी भी अपना प्रवाह पीछे नही मोडती।
अज्ञानी व्यक्ति सोचता है कि जहाँ तक उसका संबंध है । रात और दिन अनंत काल तक आते जाते रहेंगे ।
इन्द्रिये सुखों में डूबकर वह काल के पैरों कि आहाट नही सुनता ।
..... (भागवान राम)
बंदगी बिना मन के दिए निष्फल है ।
..... ( हजरत मुहम्मद )
1 comment:
Om Braham Satyam
Premi Bhai Kolhi Ji,
If you want, I can type these lines or Senteces for you without any cost.
I'm noticing that there're so many gramatical mistakes in text. Please give me a change to serve.
Om Braham Satyam
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