Sunday

गुरुनानक देव जी फरमाते हैं

साध के संग मुख उजजल होता साध के संग मिल सांगली खोत साध के संग मिटे अभिमान साध के संग प्रगट मन ज्ञान साध के संग पाये नाम रतन साध के संग एक ऊपर जतन॥

2 comments:

Dinesh Rishi said...
This comment has been removed by the author.
Dinesh Rishi said...

ॐ ब्रहम सत्यम सर्वाधार