Saturday

आज का मानव

ना जाने आज के मानव को क्या होगया हे ऐसा लगता हे जैसे उस्का विवेक कहीं खो गया है भूल करने अपनी आदर्श सभ्यता को व्यक्ति चरित्र विहीन ओगाया है विलुप्त होगई प्राचीन संस्कृति हमारी सदाचरण पश्चिमी सभ्यता में विलीन होगया अंग्रेजी शिक्ष से मनुष्यता को नापने का पैमाना बदल गया वेश भूषा ही रह गई शिक्षित की पहचान ज़माना बदल गया आज के युवा वर्ग को फास्ट म्यूजिक पर गाना अच लगता है रास आए आए आज अंग्रेज़ी चलन अपनाना अच लगता है बदलते ज़माने के साथ चलना इंसान की मज़बूरी होगयाकम कपड़े पहेनना महिलाओं के लिए ज़रूरी होगया भेडचाल में फस कर मानव अपने सत्विचार भूल गया प्रदेश जाकर जैसे कोई सज्जन अपना घर-बार भूल गया है फिल्मों ने लूट पाट भ्रष्टाचार बलात्कार समाज को दिया है निर्माताओं ने अपनी जेबें भरी समाज का सुख चैन हर लिया है विज्ञानिकों ने विज्ञानं के बड़े बड़े अविष्कार किये है मानव बम बना मानव जाती पर प्रहार किए हें अबोध को कुछ बोध नहीं आकर उसे समझा तो जाए कोई भटके हुए मानव का ईमान लौटा जाए कोई

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