Sunday

अमर वाणी

करम गति अपार है , जीव नहीं छूटन पाये "मंगत" जैसी कामना ,ऐसे रूप समाये॥ सत सरूप पहचान से,त्रैगुण मिटे विकार। "मंगत" सो सत शान्ति,निर्भय पद निर्धार॥

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