सेवा का साधन इश्वर शक्ति का प्रधान नियम
है जिसके धारण करने से जल्द ही सब विकारों
से छूटकर परमानन्द सरूप में लीण हो जता है ।
निष्काम सेवा मानुष जिन्दगी का लक्ष्य है। तन,
मन और धन को सेवा मार्ग में लगाने से
जीव सब विकारों से छूटकर अविनाशी ख़ुशी
को हासिल कर लेता है .
Service is the main principle of
divinity.One is freed from all the sins
on its adoption and soon merges
with the ultimate bliss.
Selfless service is the aim of man's
life.Body,mind & wealth should be
employed in service so as to be
released from afflictions/
impediments and merge with the
Eternal bliss
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