Man has taken birth to achieve peace
in this world and is busy searching
that peace all the time.But
ignorantly he has become slave of
his senses and is ever suffering
badly instead of achieving peace
इस दुनिया में यह जीव शांति कि खातिर
आया हे और हर वक्त शांति कि तलाश कर
रह हे। मगर अज्ञानवश होकर अपनी इन्द्रियों
का गुलाम होकर बजाये शांति के अति ही
संकट को प्राप्त होता हैं.
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